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कृषि के क्षेत्र में कृषि विज्ञान केन्द्र, धौरा, उन्नाव का इतिहास

अग्रदूत कृषक स्व. वीरेन्द्र कुमार सिंह ग्रामीण विकास, कृषक जीवन की समृद्धि, वंचितों की सेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए जीवन की अंतिम घड़ी तक लगे रहे। वकालत में महारथ हासिल करने के साथ ही समाज की सेवा का संकल्प निभाते रहे। हंसमुख, निश्छल प्रकृति ने हर एक मिलने वाले को उनका बनाया और यशस्वी जीवन व्यतीत किया।

उनके सपने को व्यापक रूप देने के लिए उनके अनुज और हमारी सोसाइटी के अध्यक्ष श्री रमेश कुमार सिंह, एडवोकेट ने अपने परिवार की भूमि देकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र नवम्बर 1999 में कर्म भूमि ग्राम धौरा जिला उन्नाव में स्वीकृत करा कर संचालन प्रारम्भ किया और कृषि विज्ञान केन्द्र के सशक्त माध्यम और अध्यक्ष जी की अन्तिम व्यक्ति तक पहुचने की दृष्टि ने हमारे कार्य को किसानों के जीवन में आशा और विश्वास का संचार किया है। कृषि के संघर्षपूर्ण पृष्ठों में यह कृषि विज्ञान केन्द्र उन्नाव जनपद एवं आस पास की ऊसर भूमि पर बड़ी सफलता प्राप्त कर उपजाऊ बनाकर एक आदर्श प्रस्तुत किया है जिसे देश के कृषि वैज्ञानिको, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश शासन ने देखकर प्रसन्नता व्यक्त की है। किसानों के लिए प्रति वर्ष किसान मेला, उत्तम बीज, सस्ते कृषि यन्त्र, जैविक खेती, सौर उर्जा का उपयोग, प्रथम पंक्ति प्रर्दशन, अनेक प्रशिक्षण, कृषक भ्रमण कार्यक्रम आयोजित कर विकास की दिशा और कृषक जीवन की दशा में सुधार का यत्न जारी है। कुटीर उद्योग, स्वय सहायता समूह, उनके स्वास्थ्य के प्रति सफल अभियान लिए गये हैं। देश के दो माननीय कृषि मंत्री एवं माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारी, अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपति, शासन के अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक समय-समय पर किसानो को सम्बोधित किया है और कृषि जीवन का सार तत्व, चुनौतियों से जूझने के फार्मूले बताये हैं।

कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष जी ने शैक्षणिक वातावरण में भी बड़ा परिवर्तन अपने अथक प्रयत्न से कराया है। जिसके परिणाम स्वरूप प्राइमरी से डिग्री तक शिक्षा की व्यवस्था गुणवत्तापूर्ण और गरीबों की पढ़ाई का अवसर उपलब्ध कराया है। जिले का ग्रामीण जीवन का और अंतिम व्यक्ति का विकास ही कुँवर राम बख्श सिंह एजूकेशनल सोसाइटी का उद्देश्य है। जिसमें लगभग 100 पूर्णकालिक वैज्ञानिक, शिक्षक, कर्मचारी और पदाधिकारी लगे हुए हैं।